प्रेम सिंह रावत ऐसे फौजी है जिसने जिन्होंने सीमाओं की रक्षा के दौरान सियाचिन की कड़कड़ाती ठंड़ में अपने दोनों पैर तो गवां दिये लेकिन उसकी जिंदादिली तो देखिए की बिना पैर के भी वह विपरीत परिस्थितियों में खड़ा होकर समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना है.
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