एक तरफ उत्तराखंड सरकार विकास का ढोल पीट रही है तो दूसरी तरफ लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं और कोई सुनवाई नहीं है. सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए जैसे-तैसे बस चुनाव जीतना ही एकमात्र मकसदन रह गया है. जनता को दोनों ने ही जैसे फॉर ग्रांटिड ले लिया है. हरीश रावत मुख्यमंत्री की बजाय घोषणा मंत्री बन कर रह गए हैं. अगर लोगा समस्याओं के लेकर सरकार के दरबार में आते हैं तो भोले-भाले लोगों को़ आश्वासन देकर वापस भेज दिया जाता है. ऐसा लगता है कि सीएम हरीश रावत ने मान लिया है कि बस लोग उनसे मुलाकात भर करने से खुश हो जाएंगे. लोगों के काम कारने की जरूरत ही नहीं है.
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