हर औलाद के लिए मां-बाप भगवान होते हैं, लेकिन यदि वही औलाद उनकी दुश्मन हो जाए और इस कारण मां-बाप को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ें तो फिर ऐसी औलाद से बेऔलाद होना अच्छा.
↧