उत्तराखंड के टिहरी रियासत की धरोहरों को आज तक ठिकाना नहीं मिल सका है. दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों के साथ गढ़वाल का इतिहास समेटे वस्तुएं लोगों की नजरों से दूर हैं, जबकि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों को संजो कर रखने के सरकार की ओर से कई बार दावे किए जाते रहे हैं.
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