कभी गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में 'सूर्य अस्त और पहाड़ मस्त' की कहावत शराब के प्रचलन की बहुतायत का किस्सा बयान करती थी, लेकिन बदले दौर में जनजागरूकता के चलते इसमें काफी फर्क आया है.
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