सरकार जोर-शोर से शिक्षा के अधिकार की बात कर रही है और इसके प्रचार-प्रसार के लिए करोड़ो रुपए विज्ञापनों पर भी खर्च कर रही है, लेकिन जब इसकी बात धरातल पर होती है तो दावों से मीलों दूर होती है.
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